प्रत्येक व्यक्ति से निवेदन है कि वह किसी भी तरह का गलत कमेंट करने से पहले इस पोस्ट को आखरी तक पढ़े और फिर विचार करें क्यों कोई इसका समर्थन नहीं करता है। यह सरकारों द्वारा बेची जाती है और लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं वह उनका स्वयं का मौलिक व मानवाधिकार है उसमें कानून और सरकार अपना कार्य करती है फिर भी आप गहनता से पढ़ें विचार करें और सोचे कि क्या होना चाहिए और क्या नहीं तार्किक कमेंट करें जिससे कोई हल निकले। सार्थक बहश बहुत जरूरी है और इसका जन उपयोगी, मानव उपयोगी और सभी की सहमति से समाधान भी जरूरी है. कानून जनता की सहमति का होना चाहिए न कि नेताओं जजों अधिकारियों या मीडिया वालों की मर्जी का।
क्यों ना शराब बेचने वाली सरकार के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि ज्यादातर अपराध शराब पीकर ही होते हैं भांग की बात बाद में होनी चाहिए यह तो वेद पुराणों में औषधी रूप से भी प्रयोग किया जाता है भोजन में भी प्रयोग किया जाता है और इससे वस्त्र भी बनाए जाते हैं बैग भी बनाए जाते हैं कॉस्मेटिक उत्पाद बनाए जाते हैं कंस्ट्रक्शन मैटेरियल बनाया जाता है प्लाई बोर्ड यहां तक कि हवाई जहाज कार और स्कूटर आदि की बॉडी भी बनाई जा चुकी है इसकी कई तरह के प्रयोग हो चुके हैं..
पिथौरागढ़ जिले में मुख्यतः भांग का प्रयोग इस इस प्रकार से किया जाता है- भांग के दानों से स्वादिस्ट चटनी बनाई जाती है, भांग के डंडो को कुछ दिन तक पानी में भिगाकर इसके लोत निकाले जाते है जिससे मजबूत रस्सिया, हलुणा, मूवाल आदि बनाया जाता है, डंडों से लोत निकालने के बाद इन्हे आग जलाने के लिए लिए प्रयोग में लाया जाता है, भांग के पत्तों को सुखाकर उसका धूसा बनाया जाता है जिसे घरेलू जानवरों में होने वाले रोग टीला अर्थात खासी का रामबाण इलाज माना जाता है साथ ही पत्तियों के धूसे को घर के आस पास जलाने से घर के नजदीक सापों के आने का खतरा भी ना के बराबर हो जाता है।
इसकी कई ऐतिहासिक प्रमाण है कि इससे कई तरह के उत्पाद बनाए जाते थे कुछ देशों में इसको उगाना वैधानिक कर दिया गया है 1985 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पूरे विश्व में एक कानून लाकर इसे एनडीपीएस में डाल दिया गया था जिस पर भारी जुर्माना और सजा कर दी गई जबकि शराब दफा 60 में डालकर हल्का सा जुर्माना करके अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपनी शराब को बेचने का रास्ता साफ किया गया यह एक बहुत बड़ी साजिश है कि भारत वर्ष ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में गरीबों के हाथ से निवाला छीन कर इस प्रकृति पौधे का उपयोग बंद कर दिया गया जबकि गैर कानूनी रूप से अरबों रुपए का राजस्व हानि इसी पौधे की वजह से सरकारों को होता है इस पौधे के उपयोग से किसी भी तरह के अपराध कि आज तक कोई पुष्टि नहीं हुई है और ना ही इस पौधे के उपयोग से किसी तरह की बीमारी की पुष्टि हुई है हां औषधि उपयोग बहुत सारे हैं जिनको स्थानीय स्तर पर लोगों द्वारा किया जाता है और वहीं दूसरी ओर शराब से शरीर को कई तरह के नुकसान हैं और सारे अपराध शराब की वजह से होते हैं तो मुझे लगता है शराब या अन्य तरह की नशों को भी बंद कर देना चाहिए और नशा मुक्त समाज होना चाहिए फिर भी भांग उस श्रेणी में नहीं आता है यह प्राकृतिक रूप से उगने वाला पौधा है और इसका जो भी उपयोग होता है वह सही रूप में लोग करते हैं नशे के रूप में इसको बंद किया जाना गलत नहीं है बशर्ते की सरकार की नीति एक रूप नीति हो पूरे देश में नशा मुक्त समाज की स्थापना के लिए कानून हो कैसा रहेगा अपना विचार दें… एक बात और आपको ध्यान देनी चाहिए कि आपकी ही सरकार द्वारा उत्तराखंड में एक विदेशी कंपनी को भांग के लिए बहुत सारी जमीन लीज पर देकर भांग उगाने का लाइसेंस तक दिया गया है और उस पर कार्य भी हो रहा है इतना ही नहीं नेताओं द्वारा या कुछ सफेदपोश लोगों द्वारा उत्तराखंड में लैंड एक्ट में परिवर्तन कर पहाड़ की जितनी मर्जी उतनी जमीने बाहरी व्यक्तियों द्वारा या कंपनियों द्वारा खरीद कर भांग उगाई जा सकती है ऐसी प्रयास किए जा रहे हैं फिर क्यों ना स्थानीय व्यक्ति ही इसे उगाए और बाहरी कंपनियों को बेचे और जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगे जिससे कि पलायन भी नहीं होगा रोजगार भी होगा केवल इतना ही नहीं इससे सैकड़ों उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं और जिस जमाने में भांग को बिना किसी रोक-टोक के इस्तेमाल किया जाता था शराब का प्रचलन नहीं था किसी भी तरह के अपराध से समाज मुक्त था जरा इस बात पर गंभीर की गंभीरता से विचार कीजिए और अच्छी बुरी बात या कमेंट करने से पहले आप अध्ययन करें और उन लोगों के बारे में सोचें जिनके मानवाधिकारों मौलिक अधिकारों और रोजगार पर चोट की जा रही है उनकी रोजी-रोटी पर चोट की जा रही है वह गरीब लोग किसान लोग जिनके पास खाने कमाने का कोई जरिया नहीं है सरकारों द्वारा रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है उनके बारे में सोचिए कि किस तरह उनके मानवाधिकारों को कुचला जा रहा है क्योंकि इन किसानों से सरकारी लोगों को या अधिकारियों को या मंत्रियों को या नेताओं को कोई पैसा नहीं मिलता है इसलिए इस देश में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जिसमें हमें पता नहीं होता है यहां तक की नीतियां बनाने में भी बाहरी देशों के बड़े-बड़े जासूसी एजेंसियों के माध्यम से पैसे का लेनदेन होता है भारत में बिकने वाली हर वस्तु पर प्रवेश कराने के लिए पैसा दिया जाता है लोगों तक यह बात नहीं पहुंचती है जबकि वही वस्तु स्थानीय स्तर पर तैयार करने में उगाने में या फिर अन्य तरह से इस लायक नहीं छोड़ा जाता है कि वह कामयाब हो उसे बर्बाद करने के लिए इंस्पेक्टर राज अंग्रेजों के समय से आज तक जिंदा है बुराई या सपोर्ट करने से पहले हम सभी को गहन अध्ययन करने की जरूरत है और कोई भी वस्तु का इस्तेमाल करना या न करना हमारे स्वयं के निर्णय पर निर्भर करता है इसलिए हम ना तो शराब को बुरा कह सकते हैं ना ही गांजा या चरस को जब बात बुराई की है तो समस्त देश में इसको बैन किया जाना चाहिए इतना ही नहीं कई देशों में इस को उगाने के लिए और प्रयोग करने के लिए मांग की जा रही है भारत में कई राज्यों द्वारा ऐसा किया जा रहा है पास के ही उत्तर प्रदेश में भांग के ठेके दिए जाते हैं मुनक्का और भांग की ठंडाई बेची जाती है पी जाती है या आप एक्साइज डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर भी इस बारे में देख सकते हैं पढ़ सकते हैं मेरा प्रयास है कि कुछ क्रिएटिव सोच के साथ इसे समझने की जरूरत है खासकर उत्तराखंड के लोग पढ़े-लिखे लोग इसे समझें प्रयास करें इस पर अध्ययन करें तो आपका विचार भी शायद बदल जाएगा और क्या करना है क्या नहीं करना है वह निर्णय आपके अपने ऊपर है धन्यवाद।।।